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नाटककार ने à¤à¤• और दà¥à¤°à¥‹à¤£à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ इस नाटक में शिकà¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की विसंगतियों और विडंबनाओ को लेकर लिखा है। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ नाटक वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में राजनीति , शिकà¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¥€à¤•ारण ,शिकà¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की समसà¥à¤¯à¤¾, सतà¥à¤¤à¤¾ की दासà¥à¤¤à¤¾à¤¨ आदि का रहसà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ किया है। इस नाटक में दिखाया गया है कि , कैसे सतà¥à¤¤à¤¾ और वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के दबाव में à¤à¤• आदरà¥à¤¶à¤µà¤¾à¤¦à¥€ शिकà¥à¤·à¤• अपनी सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों के आगे समà¤à¥Œà¤¤à¤¾ करने को मजबूर हो जाते है। जिससे शिकà¥à¤·à¤• सà¥à¤µà¤¯à¤‚ की नैतिक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ और आदरà¥à¤¶à¥‹à¤‚ से संघरà¥à¤· करते है ।नाटक शिकà¥à¤·à¤¾ जगत की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को छूते हà¥à¤ दरà¥à¤¶à¤•ों को विचार करने पर मजबूर करता है कि,किस पà¥à¤°à¤•ार शिकà¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में राजनीति और सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ ने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पा लिया है। जैसे बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ वरà¥à¤— à¤à¥€ अपनी पहचान खो देते है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ यह नाटक शिकà¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° करते हà¥à¤ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤°, अवà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ और वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¥€à¤•रण को उजागर करता है । साथ ही नैतिकता का पतन, और दà¥à¤°à¥‹à¤£à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ का आधà¥à¤¨à¤¿à¤• संदरà¥à¤ हमारे सामने रखता है । आज वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किस पà¥à¤°à¤•ार आधà¥à¤¨à¤¿à¤• दà¥à¤°à¥‹à¤£à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ की दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ हà¥à¤ˆ है ,उसकी और à¤à¥€ संकेत किया है ।
[P.M. Bhumre (2025); THE TRUTH ABOUT THE WORLD OF EDUCATION IN ANOTHER DRONACHARYA PLAY Int. J. of Adv. Res. (Sep). 1506-1509] (ISSN 2320-5407). www.journalijar.com
SRTMU,Nanded
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